अचानक बदलते मौसम की आंखों के सामने, उत्तराखंड राज्य में एक नयी घटना की आवाज उठ रही है। इस बार इस शहर के गलियों में मौसम की खिलवाड़ी खेलने आया है। भविष्यवाणी करने वाले भी तबक्कुर से दिख रहे हैं, क्योंकि आज कल के खतरे का पता लगाना बहुत मुश्किल हो गया है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तराखंड राज्य के कई जिलों में आगामी कुछ दिनों के लिए भारी बारिश के लिए अलर्ट जारी किया है। इस चेतावनी के साथ ही, उसने देहरादून, नैनीताल, और अन्य कई जिलों में भारी बारिश के बारे में सूचना दी है। यह भारी बारिश न केवल भूस्खलन की आशंका को बढ़ा देती है, बल्कि यातायात को भी अस्त-व्यस्त कर रही है।
परिदृश्य और सुनसान सड़कों की कयामती तस्वीरों से यह स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड और हिमाचल राज्य इस मौसम के खिलवाड़ी बन गए हैं। मंडी मनाली हाईवे पर भूस्खलन की खबरें आने लगी हैं और राजमार्ग बंद हो गया है। खासकर, मंडी मनाली हाईवे के 6 मील पर एक आल्टो कार पर पत्थरों की बरसात के कारण एक परिवार के सदस्यों को घायल हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश में भी अनेक स्थानों पर भारी बारिश से भूस्खलन हो रहा है।
जबकि हिमाचल प्रदेश के मंडी में भारी बारिश के कारण जमीन नरम हो रही है और इससे भूस्खलन की स्थिति बिगड़ रही है, तो हिमाचल प्रदेश परिवहन की बस डेहर कांगू मार्ग पर 50 फीट नीचे ढाक में गिर गई है, लेकिन भयंकर होती घायलियों के बावजूद बस में सवार 12 यात्री सुरक्षित हैं।
जब हर ओर खतरा घेर लिया हो और आसपास के राज्यों में भी आलर्ट घोषित हो रहा हो, तो मौसम विभाग ने भी रेड अलर्ट जारी किया है। इसके बाद उत्तराखंड राज्य के कई जिलों में गरज, चमक, और भारी बारिश की संभावना है। यह बारिश अधिक मात्रा में होने की संभावना है, जिससे आपदा राहत दल तैनात हो गए हैं।
यह अलर्ट केवल यह सुनिश्चित करने के लिए जारी किया
गया है कि लोग सुरक्षित स्थानों पर रहें और सरकार की दिशा-निर्देशों का पालन करें। जिन जगहों पर बारिश और भूस्खलन की संभावना हो, वहाँ के लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है। बस यही नहीं, बल्कि हरियाणा और पंजाब के कुछ इलाकों में भी मध्यम भारी बारिश की संभावना है। इसके अलावा, बिहार राज्य के कुछ जिलों में भी भारी बारिश के आलर्ट जारी किए गए हैं, जिनमें सीतामढ़ी, चम्पारण, किशनगंज, और सुपौल शामिल हैं।
इस अचानक बदलते मौसम में एक अद्वितीय रहस्य छिपा है, जिसका समाधान अभी तक खोजना बाकी है। इसके पीछे के कारणों को समझने के लिए हमें और अधिक विश्लेषण की आवश्यकता है।
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— मौसम विज्ञान केंद्र, पटना (@imd_patna) August 12, 2023