बिहार के प्रमुख जिलों में से एक सीतामढ़ी है। ये जिला अपनी धार्मिक मान्यताओं के चलते प्रसिद्ध है। पौराणिक और हिंदू मान्यताओं के मुताबिक देवी सीता का जन्म यहीं पर हुआ था।
बिहार के प्रमुख जिलों में से एक सीतामढ़ी है। ये जिला अपनी धार्मिक मान्यताओं के चलते प्रसिद्ध है। पौराणिक और हिंदू मान्यताओं के मुताबिक देवी सीता का जन्म यहीं पर हुआ था। सीतामढ़ी के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में मुजफ्फरपुर, पश्चिम में चंपारण और शिवहर पूर्व में दरभंगा और मधुबनी है। इस जिलें में बाघमती, अघवारा, लखनदेई और मनुस्मरा जैसी नदियां बहती हैं। ये स्थान कई धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों से भरा है। जहां हर साल लाखों की संख्या में लोग घूमने आते हैं।
जानकी माता मंदिर
सीतामढ़ी के प्रसिद्ध और पुराने मंदिरों में से एक जानकी माता मंदिर है। ये मंदिर करीब सौ साल पुराना है। हिंदू मान्याताओं के मुताबिक माता सीता का जन्म यहीं हुआ था। मंदिर परिसर भव्य आकार में निर्मित है। यहां कई छोटी-बड़ी दुकानें भी हैं। नवरात्रि समेत अन्य त्योहारों के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगती है।
सीताकुंड
सीतामढ़ी से करीब 10 किलोमीटर दूर पंथपाकर गांव है। ऐसी मान्यता है कि जब देवी सीता भगवान राम के साथ जनकपुर से अयोध्या जा रही थीं जब उनकी डोली इस स्थान पर रुकी थी। ऐसा कहा जाता है कि इस कुंड का पानी कभी सूखता नहीं है। हर साल छठ पूजा में यहां सैकड़ों वर्ती महिलाएं आती हैं।
हलेश्वर स्थान
सीतामढ़ी मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर हलेश्वर है। यहां भगवान शिव को समर्पित मंदिर है। इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि देवी सीता के पिता और मिथिला के राजा जनक ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। वहीं इतिहासकारों के मुताबिक 17वीं शताब्दी में ये बना था।1942 में भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया था जिसके बाद तत्कालीन डीएम ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।
बाबा नागेश्वर नाथ मंदिर
सीतामढ़ी के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक बाबा नागेश्वर नाथ मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि यहां जलाभिषेक करने वाले लोगों की मनोकामना पूरी होती है। सावन महीने में यहां दूर-दूर से शिव भक्त जल चढ़ाने आते हैं। वहीं रविवार को यहां मेला लगता है।